"आना मेरे गाँव में
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-कुमार रणजीत
25/04/2021
उदासी जब चहुँ ओर छा जाए
चेहरे का रंगत जब उड़ता जाए
मौत का मंजर जब गहरा जाए
तुम आना मेरे गाँव में ,
चैन है मेरे गाँव में।
सांस जब तेरा अटक जाए
खानदान जब तेरा भटक जाए
शीशे की राह जब चटक जाए
तुम आना मेरे गाँव में
संस्कार है मेरे गाँव में ।
हवा जहरीली घरों में जब आए
तंग गलियारों में जीवन कसमसाए
अपने जब अपनों से रूठ जाए
तुम आना मेरे गाँव में
प्यार है मेरे गाँव में
मन प्राण जब बेचैन हो जाए
दहशतगर्दी जब परेशाँ कर जाए
चोट खाकर रिश्ते बदनाम हो जाए
तुम आना मेरे गाँव में
सुखन है मेरे गाँव में
तन्हा दिल हार कर जब बैठ जाए
तन्हाई रात दिन जब कर जाए
शिक्षा कोई भी काम ना आए
तुम आना मेरे गाँव में
विद्या है मेरे गाँव में ।
भूख ,गरीबी और बेकारी जब लाचारी बन जाए
बेरोजगारी के बोझ से जब कदम थक जाए
इलाज कोई भी काम ना आए
तुम आना मेरे गाँव में
सहकार भरा है मेरे गाँव में।
- कुमार रणजीत"
Web Title: Poem by Kumar Ranjit
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