आजादी एवम स्वतंत्रता poem by Neeraj Sharma

 

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विषय - आजादी एवम स्वतंत्रता
विधा - गीत

भारत की शौर्य कहानी इस दुनिया ने है गाई,
वीरों ने प्राण गंवाए तब आजादी है पाई।

आजाद भगत सिंह जैसे लाखों का मन जब डोला,
ले आन बान भारत की रंग लिया बसंती चोला।
आजाद वीर के सम्मुख गोरी सेना घबराई,
वीरों ने प्राण गंवाए तब आजादी है पाई।

साहस देखा भारत का गोरे मन में घबराए,
बिस्मिल सुभाष के वह ज्यादा टिक नहि पाए।
उनकी पिस्टल से जमकर जब लाठी है टकराई,
वीरों ने प्राण गंवाए तब आजादी है पाई।

कितनों ने प्राण गंवाए कितनों ने संकट झेले,
हम सबकी खातिर अपने जीवन की होली खेले।
तब सपनों की आजादी साकार रूप है लाई,
वीरों ने प्राण गंवाए तब आजादी है पाई।

आजाद हुए हम तो फिर अभिव्यक्त किए आजादी,
तन मन से डर जब निकला घर मे ही आग लगा दी।
देखा जब कृत्य हमारा भारत मा है घबराई।
वीरों ने प्राण गंवाए तब आजादी है पाई।

निज स्वार्थ पूर्ति के कारण हम देश लूटते हैं अब,
भारत माता के सपने हर रोज टूटते हैं अब।
बेशर्म हुए हम इतने लज्जा भी है शरमाई,
वीरों प्राण गंवाए तब आजादी है पाई।

नेता षड्यंत्र रचाते हैं रोज कराते दंगा,
मर्यादा भूल गए हम घायल हो रहा तिरंगा।
फिर से प्यारे भारत पर घनघोर निशा है छाई,
वीरों ने प्राण गंवाए तब आजादी है पाई।

By
नीरज शर्मा
सीतापुर उत्तर प्रदेश
स्वरचित मौलिक


Web Title: neeraj sharma


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