"मां पापा
याद हैं मुझे
हां याद हैं मुझे
भगवान है मेरे मां पापा
अस्पताल में थी मैं
मंदिरों में थे मेरे मां पापा
पट्टी से बंधी थी मैं
सहला रहे थे मेरे मांपापा
भगवान को देखा है मैने
वो है मेरे मां पापा
खुद की काबिलियत पर भरोसा नहीं
किसी की बातों पर भरोसा है
वो है मेरे मां पापा
गलती करने पर
सजा देते है भगवान
कभी रुलाते नहीं
वो है मेरे मां पापा
चलना मुझे आता नही
मेरा सहारा बन जाते है
वो है मेरे मां पापा
पूजा सिंह
दिल्ली"
Web Title: Poem by Pooja singh
आत्मनिर्भर दिवाली की दो प्रतियोगिताओं (कविता-प्रतियोगिता एवं लेखन-प्रतियोगिता) में भाग लें. 2,100/- का प्रथम पुरस्कार... अपनी रचनायें जल्दी भेजें ...