नारी शक्ति -Poem by Richa Priya

"3. नारी शक्ति

  

                      ""ना निम्न है तू""


थक हार ना तू हरा मन को ,

ना निम्न है तू दिखा जग को ।

जब तू हिम्मत दिखलाएगी,

पत्थर को भी पिघलाएगी।

संकीर्ण ना कर तू अपना मन,

कर वृथा ना तू अपना जीवन ।

एड़ी चोटी का जोर लगा,

अपने हाथों से भाग्य जगा।

अरमानों को ना जलने दे,

बढ़ा पैर ! स्वयं को चलने दे।

तेरी राहों के जो कांटे है ,

देखें फिर कैसे आते हैं ।

गर आ भी गए अनजाने में , 

तू डर मत चोट खाने में ।

भट्ठी में जब तक जला नहीं,

लोहा औजार भी बना नहीं।

स्वयं को लोहा बन जाने दे ,

राहों  में  औजार बन जाने के ,

थक हार ना तू हरा मन को,

ना निम्न है तू दिखा जग को।"


Web Title: Poem by Richa Priya


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