नारी शक्ति- Poem by Ritu sharma

 


शीर्षक-नारी शक्ति


वो श्रद्धा है,वो आशा है,वो ममता की परिभाषा है,

आँचल मे प्रेम लिए बैठी,हर मानव की अभिलाषा है,


वो शांत सी बहती नदी कभी,कभी सागर सी गरजती है,

आंगन मैं अठखेली करती वो चिड़िया सी चहकती है,


वो सावन के झूलो पर गिरती मदमस्त कोई फुहार सी है,

वो बासंती रंगों मे रंगी फूलों की कोई बहार सी है,


वो बिटिया है,वो बहना है,वो कीमती सा एक गहना है,

ममता से पूरा भरा हुआ,माँ मौसी सा खिलौना है,


वो दूर क्षीतीज का बैकुंठ लिए,हर काम फटाफट करती है,

वो भूल के अपने ख्वाब सभी ,तुम सबका ध्यान भी रखती है,


वो सहनशीलता की मूरत ,कभी उफ्फ तक नही निकलता है,

उसके हिस्से का इतवार भी ,हफ्ते मे नही निकलता है,


वो एक हाथ मे नीर लिए दूजे मे रखती है दुनिया,

अब क्या ही लिखू उसके ऊपर जो खुद ही रचती है दुनिया,



Web Title: Poem by Ritu sharma


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