नारी शक्ती- poem by Visheshta Sharma


नारी शक्ती

स्त्री ज़ुल्म किसी पर करती नहीं
फिर भी ज़ुल्म सहने का अधिकार क्यों उसीने पाया है
उस नन्ही सी काया पर इसी समाज ने ज़ुल्म ढाया है
सोचकर सबका अन्त में उसने अपमान, तिरस्कार ही पाया है
न जाने क्यों मेरे महान भारत ने इन कुरीतियों को अपनाया है
जन्म से पुर्व ही इस नन्ही सी काया पर 'कन्या भ्रूण हत्या' का साया है
जन्म के पश्चात भी न जाने क्यूँ लक्ष्मी कहकर उसे अपनाया है
स्वयं के अस्तित्व को उसने न जाने कहा ठुकराया है
सती प्रथा का अन्त कहकर भारत ने स्वयं को महान बताया है
पर हर पल होने वाली मन की सती पर यह ध्यान नहीं दे पाया है
दहेज को पुरूषो ने अपना सम्मान करार दिलवाया है
नारी को पढाया नहीं तो अनपढ़ उसे बतलाया है
और यदि संघर्ष कर वो पढ ली तो दिमाग वाली कहकर उसे दबाया है
लक्ष्मी,सरस्वती मानकर इस समाज ने जिन्हे अपनाया है
उन्हे ही निर्भया, प्रियंका रेड्डी बनकर पुन: ठुकराया है
क्या कहूँ मैं,
मेरे भारत ने स्वयं को बहुत महान बनाया है
माँ है वो जननी है संसार की फिर भी उस देवीय शक्ती को पाताल तले दबाया है।

-विशेषता शर्मा


Web Title: poem by Visheshta Sharma 


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