"सर्वस्व न्यौछावर कर अब हम हिंदी को समृद्ध बनाएंगे - Poem by Ritu verma

 

"सर्वस्व न्यौछावर कर अब हम हिंदी को समृद्ध बनाएंगे

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सशक्त, साकार, समृद्ध देश है भारत,

विभिन्न रंगों, आयामों संस्कृति को दिखाता है,

परंतु भाषाई परिपेक्ष में सैकड़ों विविधता के प्रदर्शन का मूल स्वरूप बन जाता है,

राज्य भाषा रूपी बहती है हिंदी की गंगा यहाँ,

अन्य प्रदेशिक भाषाएँ कावेरी, सतलज और ब्रह्मपुत्र भी भारत निर्माण में सहायक है,

घृणात्मक तथ्य सिर्फ इतना है कि हिंदी की व्यापकता का दायरा उसकी संग्रहणीयता और उदारता के कारण है,

तथाकथित विकास, भूमंडलीकरण के उदारीकरण ने किया हिंदी की बहती नदी को प्रदूषित है,

कृत्रिमता, मौलिकता और नवीनता के लेकर हथियार अंग्रेजी ने किया है हिंदी को आघात,

दबंगई विचारधारा ने भाषा का खंडन कर दिया है हिंग्लिश को जन्म,

लेकिन देश की युवा पीढ़ी हिंदी की मिठास, नवीनता, सृजनात्मकता पवित्रता को फिर से वापस लाएंगे, 

सर्वस्व न्यौछावर कर अब हम हिंदी को समृद्ध बनाएंगे।। स्वार्थवादी और संकीर्णवादी अंग्रेजों ने किया हिंदी का शोषण,

भारतीय भाषाई संस्कृति की चेतना को कमजोर करने के प्रयास, 

जाल जंजाल में फंसा हिंदी को निरंतर अबल बनाया,

कोड़े मार-मार कर हिंदी की सहजता, वैज्ञानिकता और रचनात्मकता को था उन्होंने छीना,

स्वतंत्रता का उपहार देकर वह अंग्रेजी की बेड़ियां बाध गऐ,

आजादी के बाद भी भाषाई परिपेक्ष्य में असंख्य बोलियां छीन गऐ,

षड्यंत्र विफल कर अंधेरे में उनके छुपे उद्देश्य को वास्तविकता के सूरज से मिटायेंगे,

सर्वस्व न्यौछावर कर अब हम हिंदी को समृद्ध बनाएंगे।।

जागृति, जननी, जन्मभूमि हैं हिंदी हमारी,

हिंदी को अब हम नहीं पिछड़ा बनाएंगे,

अंग्रेजी बोलकर करें मिथ्याभिमान का प्रदर्शन करें चाहे सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति,

हम विदेशी मंचो पर भी हिंदी से संबोधन कर जाएंगे,

निजभाषा है उन्नति का मूल सिद्धांत सबको बतायेंगे,

नहीं करेंगे हिंदी विरोधी पृथकतावादी भावनाओं का सम्मान,

अब उन्हें राष्ट्रीय हित का दृष्टिकोण दिखायेंगे,

संकुचित मनोवृत्ति में अंग्रेजी ज्ञाता सफल सोच का परित्याग की पहल करा,

हिंदी की नींव प्रत्येक गांव में रखकर आयेंगे,

सर्वस्व न्यौछावर कर अब हम हिंदी को समृद्ध बनाएंगे।।

संकल्प एवं प्रयासों से ही हम हिंदी बन पायेंगे ,

नितांत अनभिज्ञ है विश्व हिंदी से,

इतिहास संपूर्ण है हिंदी साहित्य से,

हम ग्लोबल गांव में हिंदी स्थापित करके दिखाएंगे,

आर्य भाषा परिवार, दविड भाषा परिवार नहीं,

अब हम हिंदी से नया हिंदुस्तान बनाएंगे ,

75 वर्ष बाद सही पर युवा स्वदेशी, स्वालंबन, संस्कार, सुचिता, सेवा और साधना में हिंदी लाएगे, 

सहअंतर्सम्बन्धो से भारतीय भाषाओं को सिद्ध बनाएंगे, संकट समाप्त कर विरोधभाषा के कठघरे में हिंदी को नहीं बठाएंगे ,

अक्षुण्ण भारत! अक्षुण्ण भारती! अक्षुण्ण हिन्दी हम बन जायेंगे, 

सर्वस्व न्यौछावर कर अब हम हिंदी को समृद्ध बनाएंगे।।"


Web Title: Poem by Ritu verma


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