"आज के युग की नारी
कंधों से मिलाकर कंधा चलने का साहस जो रखती है,
दुष्टों से डटकर लड़ती है,डरकर ना पीछे हटती है ।
जिसे समझ लिया तुमने अबला, अच्छे अच्छों पर भारी है,
सौ सौ सिंघो सी बलशाली , ये आज के युग की नारी है ।
जो गंगा सी पावन है और फूलों सी कोमल दिखती है,
धर, काली का रूप पापी का भी अंत कर सकती है।
एकटक जिनके प्रबल तेज को देखे दुनिया सारी है,
ओजस्विनी है सूर्य सी, ये आज के युग की नारी है।
स्वच्छ हृदय में जिसके अनुपम प्रेम, क्षमा और भक्ति है,
तूफ़ानों की दिशा बदल दे ,ऐसी इच्छाशक्ति है।
जो स्वार्थहीन और निश्छल है वो सकल जगत अधिकारी है,
पर्वत सी दृढ़ और अटल ,ये आज के युग की नारी है।
मानो तो है एक , वस्तुतः रूप अपरिमित रखती है,
कभी माता, पुत्री, पत्नी , बहन , कभी निपुण कवियत्री दिखती है।
ऐसी अनुपम शक्ति पाकर , मानव जाति आभारी है,
प्रतिभाशाली, श्रद्धेय पुंज ,ये आज के युग की नारी है ।
Web Title: Poem by Shagun Tiwari
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