"स्त्री - पुरुष समान नहीं होते
जब कहते हैं
समाज के कुछ लोग
कि स्त्री - पुरुष समान नहीं होते
तो मान लेना चाहिए
ठीक ही तो कहते हैं
दरअसल
वे समान हो ही नहीं सकते
वें होते हैं अलग
प्राकृतिक रूप से ही नहीं
सामाजिक रूप से भी
जो संवेदना होती है
स्त्रियों के भीतर
अत्यंत गहरी और पवित्र
एकाग्रता के साथ संतुलन
त्याग, समर्पण, सेवा भाव
और सहनशीलता भी
वह नहीं होती पुरुषों में
किन्तु जो व्यवहारिकता
पुरुषों में होती है
वह नहीं होती स्त्रियों में
इसलिए
वें होते हैं पूरक
एक दूसरे के
लेकिन कमतर नहीं
एक दूसरे से
इसलिए मान लेना चाहिए
जब कहते है
समाज के कुछ लोग
कि स्त्री - पुरुष समान नहीं होते
"
Web Title: Poem by MEENAKSHI
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