"आजादी के जज्बात" poem by Tushar Rathor

 ""आजादी के जज्बात"




आजादी के जज्बात क्या कहूं,
मैं अपने देश की बात क्या कहूं ।
हुए कई संग्राम इस धरती पर,
उन संग्रामों की बात क्या कहूं ।
कितने ही शहीद हुए, कितनों ने गोली खाई,
कितने ही फांसी पर चढ़ें, कितनों ने जान गंवाई ।
जो लड़ें ब्रिटिशी हुकूमत से हर वक्त सीना ताने,
झुके नहीं किसी के आगे वो भारत मां के दीवाने ।
ना की परवाह अपनी और ना ही अपनों की,
फंदे पे लटका दी ख्वाहिशें यूहीं अपने सपनों की ।
सिर्फ एक ही था उनका सपना, स्वतंत्र होए देश अपना,
भूलने की ना उन्हें गुस्ताखी करना, बलिदान दिया जिन्होंने अपना ।
आसान नहीं थी आजादी उन्होंने ही राह बनाई,
तब जाके भारत ने पुन: पहचान बनाई ।
अमर शहादतों की बदौलत सुनहरा पल वो आया,
जब “भारत माता की जय” घोष से “स्वतंत्र तिरंगा” फहराया ।

“जय हिन्द जय भारत, भारत माता की जय, वंदे मातरम”


गर्व से भारतीय
तुषार MM राठौड़



Web Title:tushar rathor 


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