जीवन में एक से हालात नहीं मिलते, poem by Aashish Singh

 

जीवन में एक से हालात नहीं मिलते,
जवानी में बाप से खयालात नहीं मिलते,

रूप,रंग,बोली,भाषा,सब उसनें ही दिया पर,
न जाने क्यों उससे ही जज़्बात नहीं मिलते,

हमारे बुखार में रातें जग कर बितायीं जिसनें,
बुढ़ापे में हम उसके साथ नहीं मिलते,

पूरी उम्र गुज़ार दी जिसनें हमारी परवरिश में,
लानत है!हम उससे ही कई रात नहीं मिलते,

अब खुद से पूंछो या खुदा कि गवाही ले लो,
वो बाप है, और बाप, बे-बात नहीं मिलते |

©®आशीष सिंह


Web Title: aashish singh


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