" नारी शक्ति
शक्ती है संकल्प है और दृढ़ विचार
नारी ही तो विश्व के आस्तित्व का आधार
रोका है मुश्किलों ने हर पल
फ़िर भी बढ़ते हैं कदम हर दम
मुसीबतों के बादलों ने प्रतिपल झकझोरा है
लेकिन फ़िर भी नारी ने हर बंदिस को तोड़ा है
ऐसी कई प्रथाएँ आई वो भी नारी को रोक ना पाई
आए ना जाने कितने उपद्रव फ़िर भी नईया पार है पाई
हर पिंजरे को तोड़ कर खुले आसमां की उड़ान बनी
किये अनोखे कार्य सब धरती की पहचान बनी
गौरव हूँ मैं वैभव हूँ मैं घर का मान बनी
हर किसी को प्रेम दिया जीवन का गुणगान बनी
यूँ ही नहीं उजागर ये सारा संसार है
नारी के अंश से बना दुनिया का हर किरदार है
"
Web Title: Poem by Vandna bhartiya
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