कविता का शीर्षक - ''अब बन दुर्गा का रूप तू ''
बहुत हुआ प्रपंच धरा पर , अब धर चंडी का रूप तू
बहुत हुए अवतार सीता से , अब धर विकराल रूप तू
देख लिया बन लक्ष्मी सा खुदको ,
अब बन कालिका रूप तू,
मत खुदको तू अब जलने दे
बन दुर्गा का रूप तू,
अब बन दुर्गा का रूप तू ।।
Web Title: Poem by Riya Yogi
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