ये विनती बारंबार - Poem by Aruna Mahesh jaju

 

"ये विनती बारंबार

सुनलो भारत सरकार

चीनी माल को ही करदो

देश के सरहद पार

ले हम स्वदेशी त्यागे विदेशी

ऐसा सजेगा दिवाली का त्यौहार


दिवाली की रौनक उन दियोसे होंगी

जिसमे खुशबू मेरे वतन के मिट्टी की होगी

स्वदेशी का ही अब हम करेंगे चयन

देसी होंगे पटाखे जो न फैलाए प्रदूषण

लायेंगे स्वदेशी तो बढ़ेगा व्यापार

चीनी माल का अब करेंगे बहिष्कार।१।

इसीलिए है विनती बारंबार

सुनलो भारत सरकार


सवाल हैं सरकारें क्यों लाते हो चीनी माल

बाजार में नही तो खरीदनेका ना होगा सवाल

देश के कारागिरोंको देंगे हम हौसला

लेकर उनसे चीजे करेंगे सही फैसला

अपनी लेंगे चीजे आयेगी खुशी की फुहार

काम मिलेगा सबको न रहेगा कोई बेकार।२।

इसीलिए बिनती बारंबार

सुनलो भारत सरकार


इस दिवाली चीन का ऐसा करेंगे हाल

स्वदेशी की फुलझडी योंसे जलाएंगे चीनी माल

छोटी छोटी चिजोसे ही बड़ा निवेश होगा

आत्मनिर्भर बनकर कामयाब अपना देश होगा

मां लक्ष्मी भी होगी प्रसन्न करेगी धन की बौछार

जगमग होगा देश सजेगा हर एक घरद्वार

इसीलिए विनती बारंबार 

सुनलो भारत सरकार

चीनी माल को ही करदो

देश के सरहद पार

ले हम स्वदेशी त्यागे विदेशी

ऐसा सजेगा दिवाली का त्यौहार


अरुणा महेश जाजू

निज़ामाबाद

तेलंगाना







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