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देकर अपना बहुमूल्य मत, कोई कर्तव्यपरायण नहीं होता।
मना लेने से अपने त्योहार, संस्कृति का रक्षक नहीं होता।
देख चीन को, खून है हमारा खौलता।
जला डालते हैं, पुतले सड़कों पर।
जला डालना चीनी सामान, मात्र एक पल का आक्रोश है।
और अगले ही पल खिलौना खरीदते है, मेड इन चाइना।
कैसा है प्यार ये, आन्दोलन करता है, आग लगाता है।
पर वस्तुओं का बहिष्कार नहीं करता, मात्र कुछ रुपयों के लिए।करना पड़ता है बलिदान, तब ये धरती गौरवान्वित होती है।उठो धरती माँग रही प्रमाण, तुम्हारी देशभक्ति का।अपने देशवासियों से स्वार्थ छोड़, निस्वार्थ प्रेम मांगती है।
अंग्रेज भी आये थे, और राज कर गए।
सोने की चिड़िया को बर्बाद कर गए।
अब फिर भेष बदल कर, व्यापारी आया है।
साथ मैं अपने खूब सामान भी लाया है
सस्ता है, अच्छा है, आकर्षित भी करता है।
पर फिर देश का, शोषण भी करता है।
भूखे मर रहे हमारे व्यापारी, बेरोजगारी कमर है तोड़ती।
फिर स्वतंत्रता खतरे मैं है, चीनी व्यापारी पांव हैं पसारता।
तुम हो रहे फिर पराधीन, पांव मैं हैं बेडियाँ।
मगर अंजान हो तुम, कहते हो कहा हैं बेडियाँ।
तुमसे अच्छे तो वे थे, जो जानते थे की वे पराधीन हैं।
तुम तो जानते भी नहीं, कहते हो हम स्वाधीन हैं।
वक्त है की तोड़ दो, ये निर्भरता, और बनो आत्मनिर्भर।
करो बहिष्कार चीनी वस्तुओं का, ठान लो तो चट्टान हो तुम।
स्वदेशी अपनाओ, दिखा दो विश्व को क्या हो तुम।
ताकत चीन को तुम ही देते, अर्थव्यवस्था को मजबूत हो करते।
चीनी सामान खरीदकर, अपने ही भाई बहनों के पेट पर लात हो मारते।
हमारा उत्पादक भूखा है मरता, वहां का उत्पादक अरबों कमाता।
एक कदम तो उठाओ, तुम्हारी दृढ़शक्ति हम भी देखेंगे।
हमारा एक कदम, चीन की कमर तोडेगा।
देख लेना ओ चीन, शब्दों से नहीं कर्मों से दिखाएंगे।
देश का पैसा, देश में ही लगायेंगे।
दो पैसे के लालच मैं, चीनी वस्तुयें नहीं लायेंगे।
ये है निर्बलता, अब बल हम दिखाएंगे।
अपने देश मैं रोजगार बढाएंगे, आर्थिक शक्ति बन कर दिखाएंगे।
गर्व से कहेंगे हम भारतीय हैं, भारत का सामान ही लाएंगे।
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Web Title: Poem by Soni kumari , Vayam official blog content