हिंदी तेरा शुक्रिया- Anil Malviya

 

शीर्षक - हिंदी....! तेरा शुक्रिया।


हिन्दी...! तेरा शुक्रिया।

बचपन में अ,अनार, आ,आम से सीखा था तुझे।

फ, फल को क, कबूतर जैसा मैंने लिखा था तुझे।

फिर मां, और पा...पा...  बोल पाया मैं,

हिंदी, तुझसे अपनी वाणी खोल पाया मैं।

मेरे जज्बातों को बयां करने के लिए,

मेरी तुतलाहट को नया करने के लिए।

मेरे भावों को बाहर लाने के लिए,

मेरी जरूरत औरों को बताने के लिए।

हिन्दी...! तेरा शुक्रिया।


मेरी खुशी को व्यक्त करने के लिए,

मेरी वाणी को शक्त करने के लिए।

अपने दामन में जगह देने के लिए,

मेरी गलती को वजह देने के लिए।

जल्दी समझ में आने के लिए,

नंबर खूब दिलवाने के लिए।

मेरी आह को जताने के लिए,

मेरे दर्द को शब्दों में बताने के लिए।

हिंदी...! तेरा शुक्रिया।


मेरे इशारों ने जब जब मात खाई,

उन्हें समझाने के लिए मुंह से फिर तू निकल आई।

हंसी, खुशी, दर्द, उत्साह, प्यार सब तुझमें है,

मैं पौधा भर भी नही और पूरी बहार तुझमें है।

गुस्सा, प्रेम, ढांढ़स, माफ़ी वो सब तू है,

हर भाव,अंदाज़ को जो काफ़ी वो रब तू है।

मेरी पसंद को पसंद बताने के लिए,

मुझे उसकी उसे मेरी बात समझाने के लिए।

हिन्दी...! तेरा शुक्रिया।


तुझे जान पाया और तुझे लिख पाया,

तुझे लिखकर और भी तुझे सीख पाया।

मेरी सोच को नया आसमां देने के लिए,

फीकी रोशनी को नई शमां देने के लिए।

जिंदगी को जिंदगी से मिलाने के लिए,

मेरी आरजूओं को अपना बनाने के लिए।

असहाय होने पर मदद के लिए,

तलब में तुझ तलक हर हद के लिए।

हिन्दी...! तेरा शुक्रिया।


मृदु भावों की प्याली में तेरा मुकाम पाया,

प्यार से बोलकर मैं तुझे और ज्यादा जान पाया।

मेरी थकान को जब भी तुझसे आराम मिला,

मेरी थकी हारी जिंदगी को सुकून का जाम मिला।

मेरे संगीत में गुनगुनाने के लिए,

मेरी बगिया को सुर से महकाने के लिए।

क्षितिज से शून्य में कल्पना का सहारा बनकर आने के लिए,

मौन के हर आसमान में गान का तारा बनकर आने के लिए।

हिन्दी...! तेरा शुक्रिया।


मेरी ख्वाहिश, मेरी गुजारिश, मेरी सिफारिश के लिए,

मेरी मिन्नत, मेरी मन्नत में दुआ की बारिश के लिए।

मेरी उमंग को उत्साह में बदलने के लिए,

मेरी आवाज़ बनकर मेरे साथ चलने के लिए।

मेरे उम्मीद के हर सफर में हमसफ़र बनने के लिए,

मेरे मानसपटल पे खुशी पहुँचाती खबर बनने के लिए।

मेरी प्यास में "पानी" बोलने के लिए,

मेरी पसंद को रानी बोलने के लिए।

हिन्दी...! तेरा शुक्रिया।


मेरी तमाम कोशिशों में मुझ पर रहम करने के लिए,

अप्रत्यक्ष रूप से भी मेरा करम करने के लिए।

मेरी मात्रभूमि की पहचान बनने के लिए,

मेरा गर्व, मेरी सोहबत और जान बनने के लिए।

मेरे मुख पर जब जब तेरा ज़िक्र आता है,

मेरी रगों में उत्साह और जोश भर जाता है।

मेरे गीत मेरी ताल को नया छंद देने के लिए,

बचपन से अब तक हर आनंद देने के लिए।

हिन्दी...! तेरा शुक्रिया।


हिन्दी भाषा...मेरे रोम रोम पे तेरा एहसास पाता हूं,

मैं खूबसूरत नही पर अक्सर तुझसे संवर जाता हूं।

तेरी आबो हवा के आगोश में मैं खिल खिल जाता हूं,

ऐ हिन्दी तेरे समक्ष में नित नित शीश झुकाता हूं।

कुर्सी पर बैठकर अखबार की पहली नज़र बनने के लिए,

हिन्दी तेरा शुक्रिया मेरे भारत का हर घर बनने के लिए।

मेरी मां, मेरी साथी, मेरी ताकत बनने के लिए,

मेरे हर राज़ और रहस्य की लत बनने के लिए।

हिन्दी...! तेरा शुक्रिया।


तू दरिया है मैं कतरा हूं तुझे बयां करने की जुर्रत करता हूं,

तेरे शब्दों के तले बीते जीवन मेरा बस यही हसरत करता हूं।

इतनी तालीम इतनी शिद्दत इतनी उमंग देने के लिए,

रख सकूं अपनी बात मैं मुझे इतना ढंग देने के लिए।

मैं पढूं तुझे हरपल और हमेशा ही तुझे पढ़ता रहूं,

काश! मैं मरकर भी न मरूं और तुझे सुनता रहूं।

मेरी हर धूप को अपनी छांव देने के लिए,

मेरे जीवन की छोटी बस्ती को एक गांव देने के लिए।

हिन्दी...! तेरा शुक्रिया।



Web Title: Poem by Anil Malviya


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