"नारी शक्ति - Poem by Rama malhotra

 

"नारी शक्ति 

हे अप्रतिम शक्तियों की पुज , 

तू सुसुप्त शक्तियों को कर जाग्रत ,

रख स्मरण तू है . राष्ट्र निर्माण का सेतु ,                  चिर अनादि , अनन्त सृष्टि का हेतु ,

 तेरी कोख में इन्सानियत पली , 

तेरे प्रयत्नों से प्रेम की ज्योति जली , 


फिर क्यू तेरी आँखें उनींदी सी तेजस्विता से महरूम है ,

 फिर क्यूं तेरे उच्च स्वप्न शोषण की कालिख में गुम है , 

अश्वमेघ की शक्ति होकर भी तू क्यों अश्रु बहा रही ,..

त्याग , तितिक्षा , तप की मूर्त होकर भी तू कोख में मारी जा रही ,

 

क्यू तू रेत के घरौंदे बना , अपना वजूद तलाशती रही ..

 क्यूं चीर हरण की कालिमा तेरे पद चिन्ह मिटा रही ,..

गर तू सुखद भविष्य को देना चाहती वर्तमान आधार ,

 सुनहरे बुने स्वप्नों को वर्तमान में देना है अंजाम , 

तो त्याग तन्द्रा , त्यजू प्रसाद , 

कर राष्ट्र में नारी क्रांति का ...शंखनाद , रणचण्डी बन ताकि दहक उठे दावानल , क्षत्राणी आदि स्वरूपा बन ताकि मच जाए हलचल ,

 झांसी सी मर्दानी बन , इन्दिरा सी स्वाभिमानी बन ,

 रूक , ना , रूक ना . अपनी ज्वाला बढ़ाती ही चल . ..

पी.टी. ऊषा सी उर्जस्विनी बन कल्पना सी तू उड़ान भर ..

नारी जयघोष का परचम क्षितिज पर फहराती चल ,..

 दे सके तो दो . नूतन परिवर्तन गर राष्ट्र . जग , समाज को , ....

तभी मिल सकेगी सही परिभाषा , नारी के स्वाभिमान को.....

                   रमा मल्होत्रा"


Web Title: Poem by Rama malhotra


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