जो चाहूंगी मैं, वो होगी मेरी कहानी poem by Amita Mishra

 विषय - नारी शक्ति


जो चाहूंगी मैं, वो होगी मेरी कहानी
सुनेगा ज़माना, वो मेरी जुबानी ।
झुठलाएंगे हम वो ,किस्से पुराने
जो कहते थे स्त्री, यही तेरी कहानी ।

हमने बदला है खुद को ,अब तुम भी बदल लो
अपनी मर्दानगी को, अपने अंदर ही रख लो।
सारी इज़्जत का ठेका ,क्या हमने लिया है
हया आज थोड़ी सी, तुम भी कर लो।

मान दोगे मुझे ,तो मैं सम्मान दूंगी
प्यार दोगे मुझे ,तो जान भी वार दूंगी
अपने कर्तव्य सारे ,जो अब तुम निभा दो ,
तो अपने ऊपर तुम्हें ,सारे अधिकार दूंगी ।

मैं वो मीरा नहीं ,जिसको विष था पिलाया ।
ना वो औरत हूँ जिसको , तुमने जीवित जलाया ।
पांचाली का मुझमे ,कोई अक्स ही नहीं है ,
जिसकी इज़्जत को तुमने, सभा मे उछाला ।

पुत्री माँ पत्नी बहिन सहित हर रूप को मेरे रौंदा है
जीवन के पूरे हिस्से को तुमने चूल्हे में ओंधा है
किसने तुमको बतलाया था ,कैसे तुमने यह मान लिया
कमरे की चार दिवारी में ,नारी का जीवन होता है ।

जिन रिश्तों से प्यार बरसता है, उन रिश्तों का तुमने कत्ल किया
माँ बहन से प्यारे शब्दों को ,तुमने गाली में बदल दिया
लोभी दहेज के घर आकर ,बेटे का भाव लगाते है
जो भाव तनिक भी छूट गया, जीते जी मेरा दहन किया ।

बेटे को चाहने वालों के ,ताने सुन कर हम हार गए
बेटी को बोझ बताकर वो ,फिर हमको कोख में मार गए।
मुझमें भी चाह थीं पढ़ने की,मैंने भी पंख पसारे थें।
तुम आकर शादी की आरी से ,उन पंखो को भी काट गए ।

दृश्य जो सदियों पहले था , वो दृश्य आज भी जिंदा है,
पहले भी शासक अंधा था और आज भी शासन अंधा है ।
कल एक द्रौपदी चीखी थीं अब कई निर्भया पीड़ित है
कल एक दुशासन था नर में अब कई हजारों जिंदा है ।

अधिकारों को अपने परे हटा ,मैंने कर्तव्यों का वहन किया ।
हद पार तुम्हारे कृत्यों को, मैंने नियति समझ के सहन किया ।
कल एक इन्द्र ने छलने को, ऋषि गौतम का भेष बनाया था
अब कई दरिंदो ने आकर, संतो का चोला पहन लिया ।

मेरे अस्तित्व को तुम सबने,सदियो तक मिलकर है कुचला
मेरी परिभाषा दी तुमने ,नारी होती ही है अबला।
जीवन के कुछ नए रंगो से ,फिर अपना चित्र बनाऊँगी ,
इस पुरूष प्रधान समाज में जो, हो चुका है कुछ धुंधला - धुंधला।

किसी और से जुड़ता नाम नहीं ,पहचान मैं अपनी खुद दूंगी ।
वर्षों पहले जो रच दी थीं, तस्वीर वो अपनी बदलूंगी।
मेरे पर में परवाज की शक्ति है, कमजोर मुझे मत समझो तुम,
मुझे दखल कतई मंजूर नहीं ,मेरा आसमान मैं चुन लूंगी।
- अमृता मिश्रा



Web Title: Amita mishra


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