जिंदगी के वो लम्हे poem by Mahendra Gautam

 

कविता,,,
जिंदगी के वो लम्हे कुछ खास थे
जिसमे सभी अपने साथ थे
गुजर रहा था सारा जहा वहा से
वह चौराहे हमारे घर के पास थे
जिंदगी के वो लम्हे,,,,,,,
जहां अपने पराए नही होते थे
दिल में ये कसमकश एहसास थे
कभी दो पल की जुदाई न थी
बरसो के साथ थे
जिंदगी के वो लम्हे,,,,,,
जिस दिन शहर छूटा उस दिन हम आजाद थे
मगर अपनो की दुआओं के पिटारे साथ थे
हम अकेले रहे उस शहर में मगर भीड़ के एहसास थे
जिंदगी के वो लम्हे,,,,,,,,
रास न आई हमे वो कमाई जिसके लिए हम घर से दूर थे
भाग कर चले आए अपने गांव वो सारे शहर फिजूल थे
अपनो का साथ आखिरी सांस तक रहे ऐसे हमारे ऊसूल थे
जिंदगी के वो लम्हे कुछ खास थे
Write by,, Mahendra gautam
इस कविता के अथॉरिटी और लेखक दोनों ही
मेरे पास सुरक्षित है।


Web Title  MAHENDRA GAUTAM


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