नारी शक्ति*
जग को जीवन देने वाली नारी है,
मौत भी जिससे हार जाये वो नारी है।।
फूलों सी कोमल काया में शक्ति का नाम ही नारी है।।
अपमान न हो नारी का जिसके बल पे जग चलता है,
पुरुष इन्हीं से जन्म लेकर इन्हीं की गोद में पलता है।।
पर आज भी हो रहा है उसके साथ बलात्कार,
और की जा रही है उसकी इज्जत तार-तार।।
कहीं हो रहा घर के अंदर अत्याचार,
कभी किया जा रहा है तेजाब से वार।।
नारी तब होगी सबल, जब भरा हो उसमें आत्मबल।।
अब सोते समाज को नींद से जगाना मजबूरी है।।
और प्राचीन ग्रंथों को पढ़ाई में स्थान दिलाना जरुरी है।।
तभी कर पाएंगे उस नारी की पहचान,
जो कभी दुर्गा है,कभी लक्ष्मी है और कभी बनती काली है।।
ये नारी ही वीर-वीरांगनाओं और विलक्षण प्रतिभाओं को जन्म देने वाली हैं।।
*कहने और करने का फर्क मिटाना होगा,
शिक्षित कर और कानून का अधिकार दे नारी को सशक्त बनाना होगा*
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