नारिशक्ति - Poem by Jumana huzefa

 "नारिशक्ति 

अरे ये एक लड़की है पढ़ लिख कर क्या करेगी

ज़्यादा पड़ेगी तोह घर वालो के मुँह पे कालक मलेगी 

सुन ले वो लोग जो ऐसी सोच रखते है

इतना क्या डाँवाडोल है तुम्हारा आत्मविश्वास क्या हमसे जलते हो ?

या फिर डर लगता है हमसे की कही हम तुमसे आगे ना निकल जाये

अरे खुद की चिंता करो क्यों हमारे रास्ते का कांटा बनते हो

मे एक नारी हु पर कमज़ोर नहीं, मे एक नारी हु पर कमज़ोर नहीं

मे आगे बढ़ रही हु और मेरी मंज़िल मुझसे दूर नहीं, मे एक नारी हु पर मजबूर नहीं

मेरी आलोचना मत करो लोगो भटक ना जायो तुम कही

मे एक नारी हु किसी मर्द से मे कम नहीं

मे चाँद पर चढ़ सकती हु, 

मे एक भारतीय नारी हु सब मर्दो पे भारी हु 

सुनले ए नारी जब कोई दुनिया वाला तुम्हे कमज़ोर कहे, तुम्हारे सपनो का मज़ाक उड़ाए तुम्हारी ज़िन्दगी को अज़ाब बनाये तोह हर ना मानना

अपनी जीत से इनको हरा डालना

सुन मेरी बहन तू एक नारी है पर किसी पर बोज नहीं

तू एक नारी है पर कमज़ोर नहीं "



Web Title: Poem by Jumana huzefa 


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