।। स्वभाषा का गौरव ।।
राष्ट्रभाषा का सौभाग्य
समृद्ध होना चाहिए।
हिन्दी विस्तार हेतु
अभियान युद्ध होना चाहिए।।
जिव्हा वाणी का श्रंगार
भारत भारती होना चाहिए।
श्वास-प्रश्वास यथार्थ में
आरती होना चाहिए।।
चिरपोषित मृग मरीचिका का
अन्त होना चाहिए।
स्वभाषा का गौरव तो
दिगदिगंत होना चाहिए।।
भाषा माता भोली है ,
हमे सपूत होना चाहिए।
अन्तःस्थल आस्था से
अभिभूत होना चाहिए।।
उपेक्षा अवमानना का भाव
समाप्त होना चाहिए।
जनगनमन में हिन्दी-सुरभि
व्याप्त होना चाहिए।।
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रचयिता -
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नाम : - जितेन्द्र देवतवाल 'ज्वलंत'
निवास : - 174/2, वन्देमातरम, आदर्श कालोनी हनुमान मंदिर के पास, शाजापुर- 465 001 [मध्य प्रदेश]
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सम्पर्क मोबाइल : 91794 82452
रचना अप्रकाशित, अप्रसारित, स्वरचित एवं मौलिक हैं। ©️®️
Web Title:jitendra devatwal
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