"विषय- हिन्दी है भारत की बिंदी
विधा-कविता
हिन्द की भाषा, हिन्द की वाणी
हिन्दी का नहीं छोर
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक
हिन्दी भाषा ने, जन-जन में बांधा एक ड़ोर||
विश्व पटल पर बोली जाती
जिसका, देश-विदेश में भी रोब
हिन्दी है भारत की बिंदी
विश्व मंच पर गठजोड़ बनाती रोज||
वेद, पुराणों का श्रंगार यही है
छंद, गध-पद, वर्ण-स्वर का जोड़
भिन्न अलंकारों से ये सजी है
वर्तनी, मुहावरे संग कहावतों पर देती ज़ोर||
राजकाज की भाषा सुंदर
देश की आभा बढ़ाती रोज
संस्कृति संग संस्कार बढ़ाती
जो, बंधुत्त्व व एकता की है ड़ोर||
स्वरचित व मौलिक मेरी रचना चयन हेतु प्रस्तुत
फूल सिंह, शकरपुर दिल्ली"
Web Title: Poem by Phool Singh
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