तू चाहें तो झाँसी रानी है
प्रथम तू ही है, अंत तू ही
तू समुद्र की है लहर,
तू हिमालय का है शिखर,
तू ही चंद्रमा की है शीतलता,
तू ही सूर्य का है तेज,
तू ही दुर्गा की रुप है,
तू ही माहकाल है।
तू द्रोपदी नहीं दुर्गा बन,
घात नहीं प्रतिघात कर।
छुई-मुई नहीं अब नागफनी बन,
शत्रु के तन पर घाव कर।
अग्निपरीक्षा और नहीं,
सीता, न्याय की गुहार कर।
दुशासनो को निर्मूल करने,
एक और महाभारत का शंखनाद कर।
तू ही शस्त्र है, तू ही त्रिशूल
सब तेरे ही मस्तिष्क पर निर्भर है,
तू चाहें तो अबला है, तू चाहें तो झाँसी रानी है।
Web Title: shikha rani
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