* तेरे मन पर ,तेरे बदन पर सिर्फ तेरा अधिकार है।
तू डट कर रह खड़ी,चाहे गिराने को हजार तैयार हैं।।* लोगों की निगाहें हैं शमशीर सी ।
और शब्द में तीर ,खंजर ,चाकू सी प्रहार है।।
* वो चीखेंगे ,करेंगे तेरा अपमान ।
पर तू रहना तन कर ,मान ना लेना की तू लाचार है।।
* रहना है तुझे निर्भया बनकर ।
रखना तुझे खुदपर एतबार है।।
* ज़ालिम है यह दुनिया बड़ी ।
मानवता यहाँ बेहद शर्मसार है।।
* कोई शख्स यहाँ है खत नहीं ।
हर शख्स यहाँ अख़बार है।।
* तू गिरना ना कभी ,चलना सर्वदा डटकर यूँही।
गिर तू गई गर अभी ,तो अबतक की हर पहल तेरी बेकार है ।।
* तू बेशर्मों को अब शर्मिंदा कर ।
तू भला क्यों शर्मसार है।।
* बन तू अब झाँसी की रानी ।
वक़्त को भी इसी का इंतेजार है ।।
* तोड़ चुप्पी अब तू ।
दिखा दुनियाँ को कि साहस औरत का श्रृंगार है।।
* न हो तू भयभीत अब ,तू लड़ अपने हक़ की लड़ाई ।
तेरे साथ लड़ने को हर नारी तैयार है ।।
【स्वाति】
Web Title: Swati Aanand
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