" 3. नारी शक्ति ( कविता )
नारी चक्षु में केवल नीर ना रखो
ह्रदय में अपने केवल पीर ना रखो
दिमाग में जंजीर ना रखो
उठ जाओ, अब जाग भी जाओ ,
जगी आंखों में अब नींद ना रखो
मुरझाई - मुरझाई सी ,
तुम ऐसी कोई उदासी ना रखो।।
जानो अपनी शक्ति,
पास कोई अबला ना रखो
रखो भाला तलवार ,लक्ष्मीबाई सी
सिर्फ सजने का ,गहना ना रखो
मुरझाई - मुरझाई सी
तुम ऐसी कोई उदासी ना रखो ।।
पहुंच जाओ अंतरिक्ष में,
कल्पना चावला सी ,
सच कर डालो ,
बस कल्पना ना रखो
मुरझाई - मुरझाई सी
तुम ऐसी कोई उदासी ना रखो।।
बन अरुणिमा सिन्हा सी
पैर कट गया, हौसला नहीं काट पाया जिसका
कर गई माउंट एवरेस्ट फतह
ऐसा ही विश्वास रखो
विश्वास में न कोई अपंगता रखो
मुरझाई - मुरझाई सी
तुम ऐसी कोई उदासी ना रखो ।।
मैरी कॉम सी ,
सामर्थ्य लाओ बाजुओं में
खुद को कोमल कली ना रखो
धावक बन हिमा दास सी
पैरों में ना कोई बेड़ियां रखो
मुरझाई - मुरझाई सी
तुम ऐसी कोई उदासी न रखो ।।
~तुलसी कुशवाहा🌻🌻🌻"
Web Title: Poem by Tulsi kushwaha
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