साहसी नारी- Shruti Gupta

 

*साहसी नारी*

हर मोड़ पर परीक्षा देना मानो यही उसका काम हैं

दुष्टों का उसपर आघात बड़ा ही आम हैं,

पर उसके साहसी अस्तित्व पर ना कोई विराम हैं 

साहस के साथ जन्मी वो नारी उसका नाम हैं।


सुनसान राह पर पीछे से पड़ी उसपर छाया जो 

मुंह दबोच कर रौंद दिया उस बेचारी की काया को ,

चीखी चिल्लाई , मदद की थी गुहार लगाई 

पर उन हैवानो ने ना जरा भी दया दिखलाई ।


रोम रोम कांप रहा था 

आं‌‌सू खून के रो रही थी ,

मन से चाहती सपना हो यह

मां कहे तू सो रही थी ।


आज मां ना आएगी 

खुद का साथी खुद बनना हैं,

आत्मसम्मान की रक्षा हेतू

पूरी हिम्मत से लड़ना हैं।


वास्तविकता का सामना कर 

मन को अपने कटोर करना हैं,

ऐ नारी , साहस की मूरत हैं तू

उन दुष्टों की दुष्टता का दंड उनको देना हैं ।


एक बार फिर उसने दिया साहस का परिचय

मन से उसने भय को कर दिया अदृश्य,

रोक नहीं सकते वह उसको उन हैवानो को उसने बता दिया

भय जो उसके भीतर था उसे भी उसने हरा दिया ।


जैसे तैसे यदि बची वह उन दरिंदों के प्रहार से 

उसकी पीड़ा को फिर उड़ान दी इस समाज के स्वभाव ने ,

अरे उसके रंग – रूप को उसका अपराध बताया 

उसको ही उसकी व्यथा का ज़िम्मेदार ठराया ।


हार मान कर ना बैठे वह यही उसकी चाह हैं 

सहस के साथ पार करती वह हर मुश्किल राह हैं,

समाज की ऐसी सोच को न उसने उड़ान दी

ऐसी सोच को बदलने की उसने मन में ठान ली।


गलत के विरुद्ध छेड़ा उसने संग्राम हैं 

आवाज उठाने पर उसका नाम बदनाम हैं ,

पर, पर उसके साहसी अस्तित्व पर ना कोई विराम हैं 

सहस के साथ जन्मी वो नारी उसका नाम हैं 

 नारी उसका नाम हैं ।।


Web Title: Poem by Shruti Gupta


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