हम भारत की नारी है- Soni Kumari

 

नारी शक्ति


हम भारत की नारी है, जन्मे लक्ष्मीबाई सरीखा बल लेकर;

पन्नाधाय सा समर्पण, अनसुइया जैसा तप लेकर;

पद्मिनी, मीरा,जीजाबाई नारी ये बलिदानी है,

कल्पना चावला, बछेन्द्री की अपनी अमिट कहानी है;

स्वर्णिम इतिहास के पन्ने सदा सबको ये बतलाते है,

नारी कर्तव्य निभाने में बलिबेदी पर चढ़ जाती है।।

कहीं गूंजते बंशी के स्वर,कहीं छाई शाम सुहानी है;

विष पीती मीराबाई है, कहीं राधा श्याम दीवानी है;

नारी त्याग-तपस्या है, नारी ही प्रेम कहानी है;

कहीं पायल-कंगन की खनखन, कहीं खूब लड़ी मर्दानी है;

हर कोना भरा वीरता से, जर्रा- जर्रा बलिदानी है,

अक्षुण्ण रखना है देश का गौरव हमने ये मन में ठानी है।।

कलियुग के महाभारत की तुम स्वयं ही अपनी कृष्ण बनो,

कंगन-चूड़ी वाले हाथों में खड्ग, सुदर्शन चक्र गहो;

करदो बिलग शीश धड़ से अन्यायी और दुराचारी का,

तुम ही द्रोपदी-सीता हो,तुम्ही राम और कृष्ण बनो;

नारी अनुराग है, अनुरक्ति है, यही मौन यही अभिव्यक्ति है,

इसकी शक्ति का क्या कहना इसका दूजा नाम ही शक्ति है।।


Web Title: Poem by Soni Kumari


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