नारी शक्ति
हम भारत की नारी है, जन्मे लक्ष्मीबाई सरीखा बल लेकर;
पन्नाधाय सा समर्पण, अनसुइया जैसा तप लेकर;
पद्मिनी, मीरा,जीजाबाई नारी ये बलिदानी है,
कल्पना चावला, बछेन्द्री की अपनी अमिट कहानी है;
स्वर्णिम इतिहास के पन्ने सदा सबको ये बतलाते है,
नारी कर्तव्य निभाने में बलिबेदी पर चढ़ जाती है।।
कहीं गूंजते बंशी के स्वर,कहीं छाई शाम सुहानी है;
विष पीती मीराबाई है, कहीं राधा श्याम दीवानी है;
नारी त्याग-तपस्या है, नारी ही प्रेम कहानी है;
कहीं पायल-कंगन की खनखन, कहीं खूब लड़ी मर्दानी है;
हर कोना भरा वीरता से, जर्रा- जर्रा बलिदानी है,
अक्षुण्ण रखना है देश का गौरव हमने ये मन में ठानी है।।
कलियुग के महाभारत की तुम स्वयं ही अपनी कृष्ण बनो,
कंगन-चूड़ी वाले हाथों में खड्ग, सुदर्शन चक्र गहो;
करदो बिलग शीश धड़ से अन्यायी और दुराचारी का,
तुम ही द्रोपदी-सीता हो,तुम्ही राम और कृष्ण बनो;
नारी अनुराग है, अनुरक्ति है, यही मौन यही अभिव्यक्ति है,
इसकी शक्ति का क्या कहना इसका दूजा नाम ही शक्ति है।।
Web Title: Poem by Soni Kumari
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