नारी सशक्तिकरण
हां सुना था !
नारी साक्षात देवी का स्वरूप है ,
नारी प्रेम का स्वरूप है ।
पर क्या उस नन्ही सी कली का गर्भ में यूं ही मुरझाना
ठीक है ?
क्या घर की लक्ष्मी का दहेज के बोझ तले यूं ही दब जाना ठीक है ?
क्या उस नन्ही सी जान का यूं बेमौत मर जाना
ठीक है?
क्या उस मां का न्याय के लिए यू तड़पना
ठीक है?
क्या उस सपनों की परी के सपने सपने ही रह जाना
ठीक है?
ऐसे कई सवाल है
और जवाब बहुत ही कम
हां मानती हूं !
आज वह स्थिति नहीं है
जो 20 साल पहले थी
आज नारी को न्याय भी मिल रहा है
और वह सम्मान भी जो से मिलना चाहिए
पर आज भी कई जगह ऐसी है जहां नारी की पहचान आज भी सिर्फ जन्म देने
और खाना बनाने के लिए होती है
रोज उसका शोषण हो रहा है
रोज एक बलात्कार का मामला सामने आ रहा है
सवाल कीजिए खुद से
क्या हम उन हैवानों की हैवानियत खत्म नहीं कर सकते
क्या उस नारी को उसकी शक्ति के एहसास नहीं दिला सकते
जरा सोच बदल के तो देख नजरिया बदल जाएगा ।
Web Title: Poem by Vedanshi Pahadiya
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